दीवार पे तस्वीर

दीवारों पे टंगी तस्वीर ने
बेजुबान कई कहानियां
अतीत की आवाज़ चुरा कर
आज मुझे सुनाया है

कैद कर वो लम्हा
तस्वीरों के बेजान पन्नों पर
फिर आज जैसे
वही एहसास लौट आया है

नज़र धुंधला गई है
आंखे नम हो गई है
तस्वीर वहीं दीवार पे थम गई है
पर अरमानों ने उड़ान भर ली है

समय की सूइयों को
मोड़ने का ख्याल आया है
उस लम्हे को फिर से
जीने का ख्वाब सजाया है

समय की रेत को टटोला
तो वो लम्हा हाथ आया है
उसी लम्हें में पूरी उम्र
गुजारने का ख्याल आया है

Published by Echoes of the soul

I am a dreamer I weave tales in my mind I am connected to you through these words through this screen across the virtual world I and my tales within

3 thoughts on “दीवार पे तस्वीर

  1. बहुत सुन्दर👌 सतीश जी आप बहुत अच्छा लिखते है। इंडिया के लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है। एक प्रतियोगिता चल रही है, जिसमें ढ़ेरों इनाम भी है। क्या आप इसमें भाग लेना चाहेंगे? अगर आप उत्सुक हो तो आप मुझे बताए तो मैं आपको सारी details भेजूंगी।

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    1. Zoya Ji, बहुत शुक्रिया आपका। Appreciation always motivates. आपके जज्बात भी पढ़े और अच्छे लगे। जो भी वाह वाही मिलती है, वाही इनाम है। फिर भी प्रतियोगता में भाग लेने का अवसर बहुत ही रोचक है। Please ज़रूर details भेजें

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